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"सुभाषित रसास्वाद"
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"कूटप्रश्न"। ( २४२ )
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श्लोक----
" भारतं इक्षुदण्डं च कलानाथं च वर्णय ।
कालिदासः कविर्ब्रूते " प्रतिपर्वरसावहम्"।।"
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अर्थ---
एक ही शब्द में महाभारत , गन्ना और चन्द्र इसका वर्णन कैसे करोगे?
इसका उत्तर कालिदासने " प्रतिपर्वरसाहम्" ऐसा दिया ।
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गूढार्थ---
भोज राजा के दरबार में घटी हुई यह घटना है । एक बार राजा भोज ने कविवृंद से भरी हुए सभा में यह प्रश्न किया-- महाभारत , गन्ना और चन्द्र इन तिनों का वर्णन एक शब्द में समर्पकता से किया जाए ।
तब कवि कालिदास ने तुरंत उत्तर दिया--" प्रतिपर्वरसप्रद"।
महाभारत का हर पर्व सुरस है । गन्ने के हर कांड( पेर्यात) रस से भरा हुआ है । और चन्द्र प्रत्येक पर्वकाल में कल्याणकारी होता है ।
सुभाषितों में से कुछ ना कुछ ज्ञान प्राप्ति जरूर होती है ।
इसलिए ही सुभाषित हमारी धरोहर है ।
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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