एक इंसान घने जंगल में भागा जा रहा था
=एको मानवो निबिडवने धावति स्म।
अंधेरे में कुंआ दिखाई नहीं दिया और वह उसमें गिर गया = तिमिरे कूपो न दृष्टः तथा स तस्मिन् अपतत्।
गिरते-गिरते कुएं पर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई = पतनकाले कूपं प्रति नमत: वृक्षस्य एका शाखा तस्य हस्ते आगता।
जब उसने नीचे झांका,तो देखा कि कुएं में चार अजगर मुंह खोले उसे देख रहे थे ।
=यदा स: अध: प्रति सूक्ष्मनिरीक्षणं कृतवान्,चेत् अपश्यत् यत् कूपे चत्वारो बाहसा: मुखम् उद्घाटिता: तं पश्यन्ति स्म।
वह घबरा गया और सोचने लगा कि हे भगवान्।अब क्या होगा? = स: अधीरभूय चिन्तयितुम् आरभत यत् भगवन्!इदानीं किं भविष्यति?
उसी पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता था= तस्मिन्नेव वृक्षे मधुमक्षिकाणाम् एको निकेत: आसीत्।
हाथी के पेड़ को हिलाने से मधुमक्खियां उड़ने लगीं और शहद की बूंदें टपकने लगीं = गजेन वृक्षस्य कम्पयनेन मधुमक्षिका: उड्डयितुमारभन्त तथा मधुन: बिन्दव: स्रवितुमारभन्त।
एक बुंद उसके होठों पर आ गिरी =एको बिन्दु: तस्य ओष्ठयो: अपतत्।
उसने प्यास से सूख रही जीभों को ओठों पर फेरा,तो शहद की बूंद में गजब की मिठास थी = स पिपासया शुष्कायमानां जिह्वां ओष्ठयो: मार्जनं कृतवान्,चेत् मधुन: बिन्दौ अद्भुतं माधुर्यमासीत्।
कुछ पल बाद फिर शहद की एक और बूंद उसके मुख में टपकी=क्षणात्परं पुनः मधुन: एक: इतोऽपि बिन्दु: तस्य मुखे अस्रवत्।
अब वह इतना मगन हो गया कि अपनी मुश्किलों को भूल गया= इदानीं स एतावान् मग्नोऽभवत् यत् स्वसङ्कटानि विस्मृतवान्।
तभी जंगल से भगवान् अपने वाहन से गुजर रहे थे= तदैव तस्माद् वनाद् भूत्वा भगवान् स्ववाहनेन अगच्छत् ।
भगवान ने उसके पास जाकर कहा - मैं तुम्हें बचाना चाहता हूं।मेरा हाथ पकड़ लो = भगवान् तं निकषा गत्वा अवदत्- अहं तव रक्षां कर्तुमिच्छामि।मम हस्तं गृह्णीतात्।
उस इंसान ने कहा कि एक बूंद शहद और चाट लूं, फिर चलता हूं = स मानव अवदत् यत् एकं बिन्दुं मधु इतोऽपि लीढ्वा पुनः चलामि।
एक बूंद,फिर एक बूंद और हर एक बूंद के बाद अगली बूंद का इंतजार = एक: बिन्दु: , पुनः एक: इतोऽपि बिन्दो: परं अग्रिमबिन्दो: प्रतीक्षा।
आखिर थक-हारकर भगवान् चले गए = अन्तत: खिन्नभूय भगवान् अचलत्।
मित्रों , वह जिस जंगल में जा रहा था,वह जंगल है दुनिया = मित्राणि! स यस्मिन् वने अगच्छत् , तद् वनमस्ति संसार:।
अंधेरा है अज्ञान = तिमिरोऽस्ति अज्ञानम्।
पेड़ की डाली है आयु = वृक्षस्य शाखा अस्ति आयु:।
दिन-रात नाम के दो चूहे उसे कुतर रहे हैं = अहर्निशं नाम्नोः मूषकौ तं रदतः।
घमंड नाम का मदमस्त हाथी पेड़ को उखाड़ने में लगा है = अहङ्कारनामक: उन्मतगजो वृक्षस्य उत्खनने लिप्तोऽस्ति।
शहद की बूंदें सांसारिक सुख हैं,जिनके कारण मनुष्य खतरे को अनदेखा कर देता है = मधुबिन्दव: सांसारिकानि सुखानि सन्ति येन मानव: सङ्कटानि नेक्षते।
यानि सुख की माया में खोए मन को भगवान भी नहीं बचा सकते हैं = अर्थात् सांसारिकसुखे लिप्तमनस: रक्षां भगवानपि कर्तुं न शक्नोति।
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