Wednesday, August 4, 2021

Leak - Sanskrit sloka

*६८७ . ।। स्रवति ।।*

*पञ्चेन्द्रियस्य मर्त्यस्य* 
          *छिद्रं चेदेकमिन्द्रियम् ।*
*ततोऽस्य स्रवति प्रज्ञा* 
          *दृतेः पात्रादिवोदकम् ॥*

मनुष्याच्या पांच इंद्रियांपैकी एखाद्या इंद्रियात जरी विकार उत्पन्न झाला , तरी त्याद्वारे 
चामडी पिशवीच्या छिद्रातून पाणी गळून जावे त्याप्रमाणे त्याची बुद्धि  बाहेर स्त्रवून जाते .

मनुष्य की पाँचों इंद्रियों में यदि एक में भी दोष उत्पन्न हो जाता हैं , तो उस से उस मनुष्य की बुद्धि उसी प्रकार बाहर निकल जाती हैं , जैसे मशक (जल भरने वाली चमड़े की थैली) के छिद्र से पानी बाहर निकल जाता हैं ।

If there is a leak in any one of the five senses of a man , then all his intelligence runs out from that single hole , just like a water runs out from a perforated leather vessel .

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