*६३९ . ।। वशता ।।*
*इत्थं कविकुटुम्बस्य*
*वचांसि विचिनोति यः ।*
*अनिद्धवचनस्यापि*
*तस्य वश्या सरस्वती ॥*
विद्येची देवी सरस्वती त्याला वश होते जो ज्ञानी पुरुषांची सिद्ध वचने निवडून त्यांचा संग्रह करतो .
विद्या की देवता सरस्वती उस के वश में होती हैं जो ज्ञानी पुरुषों के सिद्ध वचनों को चुन कर उन का संग्रह करता हैं ।
_Saraswati_ , Goddess of learning , becomes his
who selects and collects precious words of wisdom from the learned .
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