|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
---------------------------------------------------------------------------------------
" *नवरसवर्णनम्* " ( १६३ )
---------------------------------------------------------------------------------------
" *भयानकरसः* "
---------------------------------------------------------------------------------------
*श्लोक*----
" इदं मघोनः कुलिशं धारासंनिहितानलम् ।
स्मरणं यस्य दैत्यस्त्रीगर्भपाताय केवलम् " ।। ( शा. प. )
--------------------------------------------------------------------------------------
*अर्थ*----
यह देवराज इन्द्र का अस्त्र है - वज्र । इसके तीक्ष्ण धार में अग्नी का निवास है । अस्त्र का प्रयोग तो बहुत दूर की बात है , इसके केवल स्मरण होने मात्र से ही दैत्यस्त्रियों का गर्भपात होता है ।
इतना यह भीषण है ।
--------------------------------------------------------------------------------------
*गूढ़ार्थ* ----
इन्द्र के वीरता के साथ ही दैत्यस्त्रियों का भय यहाँ पर स्पष्ट दिखायी देता है । यही भयानकरस का विशेष है ।
------------------------------------------------------------------
*卐卐ॐ卐卐*
-------------------------
डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे/ महाराष्ट्र
🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞🐞
No comments:
Post a Comment