Tuesday, May 5, 2020

Rich man loses his organs - Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
   " *सुभाषितरसास्वादः* "
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    " *वित्तमहिमा* " ( १७३ )
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  *श्लोक*---
   " बधिरयति  कर्णकुहरं , वदनं  मूकयति ,  नयनमन्धयति ।
      कुटिलयति  गात्रयष्टिं  संप्रद्रोगोऽयमद्भुतो  लोके  " ।।
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*अर्थ*---
  कर्ण  बधिर  करता  है ।  मुख  को  मौन  करता  है ।  आंखों  को  अंधा  करता  है ।  और  शरीर  को  तेढामढा  करता  है ।  
सही  में  धनरूपी  रोग  बडा  ही  अद्भुत  है ।
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*गूढ़ार्थ*-----
   सुभाषितकार  ने  कितनी  खूबी  से  हमे  धनरूपी  रोग  के  लक्षण  बताये  है ।  सही  में  अचानक  से  जिसके  पास  ढेर सारी  संपत्ति  आ जाती  है  वह  अपने  पुराने  रिश्तों  को  और  मित्रों  को  भूल  जाता  है । उसके  हर  गात्र  और  शरीरभाषा  कैसे  बदलती  है  इसका  ही  वर्णन  प्रस्तुत  श्लोक  में  किया  गया  है ।
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /   महाराष्ट्र 
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