Monday, April 6, 2020

Use buddhi to cross the ocean of samsara - Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
    " *सुभाषितरसास्वादः* "
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     " *धीमहिमा* " ( १४० )
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    *श्लोक*---
   " धीस्सम्यग्योजिता  पारमसम्यग्योजिताऽऽपदम् ।
    नरं  नयति  संसारे  भ्रमन्ती  नौरिवार्णवे " ।।
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*अर्थ*---
    समुद्र पर  चलनेवाली  नांव  के  जैसी ,  बुद्धि की  अगर  ठीक  से   योजना  की  जाये  तो  वह  निश्चितता  से  संसारसागर  के  पार  ले  जायेगी।  और  वही  बुद्धि  अयोग्य  जगह  पर  योजी  गयी  तो  वह  संकट  के  भंवर  में  डाल  देगी । 
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*गूढ़ार्थ*-----
   समुद्र  पर  चलनेवाली  नांव  जैसी  नावाडी  के  हाथ  में  होती  है  जैसी  दिशा  नावाडी  नांव  को  देगा  वैसे  ही  वह  चलती  है  वैसे  ही  हमारी  बुद्धि  हमारे  इन्द्रियों  के  हाथ  में  होती  है  इन्द्रियाँ  जैसे  आदेश  देगी  उस दिशा  में  हमारी  बुद्धि  जायेगी ।  बुद्धि  और  इन्द्रियों  को  समतोल  अच्छा  रहा  तो  हम  यही  बुद्धि  के  द्वारा  इस  संसारसागर  पार  कर  जायेंगे  और  वही  समतोल  अयोग्य  रहा  तो  हमे  नाना  प्रकार  की  संकटों  का  सामना  करना  पडेगा ।
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे /   महाराष्ट्र 
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