Friday, April 3, 2020

Kama deva & woman - Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
    " *सुभाषितरसास्वादः* "
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   " *नवरसप्रकरणम्* " ( १५८ ) 
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साहित्य  में  रसों  की  संख्या  नव  बतायी  गयी  है ।  रस  मतलब  एखाद  वचन  सुनकर  ह्रदय  को  प्राप्त  होनेवाला  अलौकिक  आनंद ।
   वाड्मय  में  नव  रस  बताये  गये  है  -- श्रृंगार ,  हास्य ,  करुण ,  रौद्र ,  वीर ,  भयानक ,  बीभत्स , अद्भुत और  शांत ।
श्रृंगाररस  को  रसों  का  राजा  ( रसराज )  कहा  जाता  है ।
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  " *श्रृंगाररस* -- *मनसिजप्रशंसा*( *कामदेव*)
*श्लोक*----
   " अनङ्गेनाबलासङ्गाज्जिता  येन  जगत्त्रयी ।
   स  चित्रचरितः कामः  सर्वकामप्रदोऽस्तु  वः " ।।  ( शार्ङ्गधरपद्धतिः )
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  *अर्थ*----
   श्रृंगाररस  का  स्वामी  है  कामदेव ।  वह  अनंग  मतलब  जिसे  शरीर  नही  है । उसे  शरीर  ना  होकर  भी  तीनों  लोग  (  आकाश , पृथ्वी  और  पाताल ) को  जिता  है ।  उसे  यह  कैसा  सिद्ध  हुआ ? स्त्रियों  की  साहय्यता  से  क्यों  की  स्त्रियाँ  अबला  है  उनकी  साहय्यता  से  उसने  यह  कार्य  सिद्ध  किया  है ।  उसका  चरित्र  तो  विचित्र  ही  है वह  मनुष्य से  क्या  करवायेगा  और  खुद  क्या  करेगा इसका  कुछ  भरोसा  नही  है । ऐसा  वह  कामदेव  आप  सबकी  इच्छापूर्ति  करनेवाला  होवो ।
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*गूढ़ार्थ* ----
   स्त्रियाँ   अबला  होती  है  इसलिए  बडी  आसानी  से  कामदेव  ने  उनकी  साहय्यता  से  जग  जिता  है  जबकि  वह  अनंग  है  फिर  भी  उसका  जग  जितना  विचित्र  नही  है  क्या ?  
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर   
पुणे /  महाराष्ट्र 
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