Friday, February 21, 2020

Srisailapati dasakam - Sanskrit poem

श्रीशैलपतिदशकम्
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(१)
जय भस्मविभूषणविग्रह हे
अहिबन्धक नग्नक अम्बक हे।
जटिमण्डलमण्डित षण्डपते
प्रणमामि पदे तव शैलपते।।
(२)
हर शंकर ईश्वर शूलधर
तटिनीधर धीधर योगिवर।
शशिशेखर शाश्वतकीर्त्तिरते
प्रणमामि पदे तव शैलपते।।
(३)
अनलेक्षण भीषण नीलगल
विमलास्थिविराजित कालकल।
वरदायक भैरव देवपते
प्रणमामि पदे तव शैलपते।।
(४)
गिरिराजसुतासुखसाधक हे
गणनाथषडाननलालक हे।
सुरसुन्दर निन्दितकामपते
प्रणमामि पदे तव शैलपते।।
(५)
गणपालकधारकनायक हे
रिपुशासकशोषकनाशक हे।
विषभक्षक रक्षक लोकततेः
प्रणमामि पदे तव शैलपते।।
(६)
स्मरसुन्दरविग्रहनिग्रह हे
त्रिपुरासुरमारक तारक हे।
मखपावकनाशक चण्डपते
प्रणमामि पदे तव शैलपते।।
(७)
करुणावरुणालय शोभन हे
जनजीवनतारणकारण हे।
दरदण्डितखण्डितभक्तपते
प्रणमामि पदे तव शैलपते।।
(८)
जनलालनपालनकारक हे
सुखदायक पोषक तोषक हे।
भववारणवारणदावपते
प्रणमामि पदे तव शैलपते।।
(९)
मतिवर्द्धक भर्त्तक दर्पक हे
भयकर्त्तक सार्थकनर्त्तक हे।
मृतिहारक पारक भूतपते
प्रणमामि पदे तव शैलपते।।
(१०)
मनुजासुरनिर्जरपूजित हे
भजकाखिलपातकघातक हे।
शुभकर्मद धर्मद विश्वपते
प्रणमामि पदे तव शैलपते।।
(व्रजकिशोरः)
  

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