*एकः प्रजायते जन्तु:*
*एक एव प्रलीयते।*
*एकोऽनुभुङ्क्ते सुकृतम्*
*एक एव च दुष्कृतम्।।*
अर्थात- जीव अकेला ही जन्म लेता है और अकेला ही मृत्यु को प्राप्त होता है। अकेला ही पुण्य भोगता है और अकेला ही पाप भोगता है अतः प्रत्येक मनुष्य का पमोद्देश्य धर्माधृत जीवन जीने का होना चाहिए।
*🙏🌻🌺मङ्गलं सुप्रभातम्🌺🌻🙏*
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