Friday, November 29, 2019

6 types of preeti - Pancatantra - Sanskrit sloka

||ॐ||
" सुभाषित  रसास्वाद "(२७)
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" सामान्यनीतिः"।
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श्लोक---
" ददाति प्रतिगृह्णाति  गुह्यमारव्याति  पृच्छति ।
भुङ्क्ते  भोजयते  चैव  षड्विधं  प्रीतिलक्षणम् "।। ( पञ्चतन्त्र)
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प्रीती  की  छह  लक्षणे  बतायी  गयी  है ।  जिसकी  जिसके  साथ  प्रीती  होती  है , वह  देता  है  लेता  भी  है ,  अपने  मित्र  के  मन  का  गुपित भी  पूछता  है  और  अपने  मन  का  गुपित  भी  बताता  है ।  मित्र  का  खाता  भी  है  और  उसे  खिलाता  भी  है । जब  यह  छह  वैशिष्ट्य  दिखेगी  वहाँ   पर  प्रीती  जरूर  समझनी  चाहिए ।
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गूढार्थ---
प्रस्तुत  सुभाषित  पञ्चतन्त्र  में  से  उद्धृत  है ।  मित्रलक्षण  बताते  हुए  यह  श्लोक  आया  है । प्रगाढ़  मैत्री  कहाँ  पर  होगी  तो  जहाँ  पर  किसी  भी  बात  में  परदा  नही  होगा ।
वैसे  आजकल  के  युग  में  भी  यह  सुभाषित  लागू  होता  है ।  सुख  तो  हम   सबके  साथ  बांटते  है  किन्तु  दुःख  के  लिए  हमे  हमारा  खास  मित्र  ही  लगता  है। दुःख  हम  हर  किसीके  साथ  नही बांट सकते ।      
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डाॅ.  वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर    
पुणे /   महाराष्ट्र
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