ॐ सुरभारत्यै नमः॥ वन्देमातरम् ॥
रक्ष्_धातु
विधिलिङ्लकाराभ्यास
(रक्षा करनी चाहिये)
१- सर्वः धरां रक्षेत् ।
(सभी को पृथ्वी की रक्षा करनी चाहिये ।)
२- तौ वातावरणं रक्षेताम् ।
(उन दोनों को वातावरण की रक्षा करनी चाहिये ।)
३- सर्वे प्रकृतिं रक्षेयुः ।
(सभी को प्रकृति की रक्षा करनी चाहिये ।)
४- त्वं वृक्षान् रक्षेः ।
(तुम्हें पेड़ों की रक्षा करनी चाहिये ।)
५- युवां सस्यानि रक्षेतम् ।
(तुम दोनों को फसलों की रक्षा करनी चाहिये ।)
६- यूयं खगान् रक्षेत ।
(तुम सबको पक्षियों की रक्षा करनी चाहिये ।)
७-अहं बालं रक्षेयम् ।
(मुझे बच्चे की रक्षा करनी चाहिये ।)
८-आवां शिशून् रक्षेव ।
(हम दोनों को शिशुओं की रक्षा करनी चाहिये ।)
९-वयं वृष्टेः पुस्तकानि रक्षेम ।
(हमे वर्षा से पुस्तकों की रक्षा करनी चाहिये ।)
जयतु संस्कृतम् ॥ॐ॥ जयतु भारतम् ॥
रक्ष्_धातु
विधिलिङ्लकाराभ्यास
(रक्षा करनी चाहिये)
१- सर्वः धरां रक्षेत् ।
(सभी को पृथ्वी की रक्षा करनी चाहिये ।)
२- तौ वातावरणं रक्षेताम् ।
(उन दोनों को वातावरण की रक्षा करनी चाहिये ।)
३- सर्वे प्रकृतिं रक्षेयुः ।
(सभी को प्रकृति की रक्षा करनी चाहिये ।)
४- त्वं वृक्षान् रक्षेः ।
(तुम्हें पेड़ों की रक्षा करनी चाहिये ।)
५- युवां सस्यानि रक्षेतम् ।
(तुम दोनों को फसलों की रक्षा करनी चाहिये ।)
६- यूयं खगान् रक्षेत ।
(तुम सबको पक्षियों की रक्षा करनी चाहिये ।)
७-अहं बालं रक्षेयम् ।
(मुझे बच्चे की रक्षा करनी चाहिये ।)
८-आवां शिशून् रक्षेव ।
(हम दोनों को शिशुओं की रक्षा करनी चाहिये ।)
९-वयं वृष्टेः पुस्तकानि रक्षेम ।
(हमे वर्षा से पुस्तकों की रक्षा करनी चाहिये ।)
जयतु संस्कृतम् ॥ॐ॥ जयतु भारतम् ॥
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