Monday, August 26, 2019

Paratpara guru - Sanskrit poem

श्रीपरात्परगुरवे नमः
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ब्रह्मज्ञानी गुरुश्रीर्विगतभवभयो लेखनीशस्त्रदक्ष
स्तद्दानाद् वै पुराणं बहुविधकृतयो भान्ति च ब्रह्मसूत्रम्।
सर्वेषां ज्ञानदाता भवसुखरहित स्तत्त्वनिष्ठस्तपस्वी
सोयं मे दिव्यबुद्धिं वितरतु सततं नौमि तं व्यासदेवम्।।
             (व्रजकिशोरत्रिपाठी)

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