Thursday, June 20, 2019

Umamaheswar - Sanskrit poem

ओं उमामहेश्वराभ्यां नमः
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योनादिर्योनिभूतो हि सकलजगतां यौवनी योपि नित्यं
जायाकांक्षी ततोसौ भ्रमति वनपुरे योग्यकन्यानिमित्तम्।
जाता शैलेश्वराद् या त्रिभुवनजननी सापि लब्धुं महेशं
कृत्वाशां दिव्यकन्या भवति भववधू दम्पती तौ प्रपाताम्।।
(व्रजकिशोरत्रिपाठी)
  

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