Monday, June 3, 2019

Forgetting Vishnu is the real misery.-Sanskrit sloka

विपदो नैव विपदः सम्पदो नैव सम्पदः। 
विपद्विस्मरणं विष्णोः सम्पन्नारायणस्मृतिः।। 
–महाभारत

महाभारत में कुंती कहती है – महाभारत युद्ध में जहां भीष्म पितामह आदि रथी विद्यमान थे उस समय आपने मेरे पुत्रों को खरोच तक नहीं आने दी और कहां तक सुनाऊं आपने अभी-अभी अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र से उत्तरा के गर्भ की रक्षा की इसलिए प्रभु मैं तो आपसे यही वरदान मांगती हूं –दुनिया की विपत्ति कोई विपत्ति नहीं है। दुनिया की सम्पत्ति कोई सम्पत्ति नहीं है। भगवान का विस्मरण ही विपत्ति है। भगवान का स्मरण ही सर्वोत्कृष्ट सम्पत्ति है। यह समझ करके महापुरुषों ने विपत्ति का वरदान माँगा है। ध्यान रहे– दुनिया में कोई दूसरा दृष्टान्त नहीं है, जिसने वरदान माँगा हो विपत्ति का। एकमात्र कुन्ती का ही यह दृष्टान्त है जिसने  विपत्ति का वरदान माँगा। 

Miseries are not real miseries. Wealth is not real wealth. Forgetting Vishnu is the real misery. Remembering him always is the real wealth.

श्रीशंकराचार्य संस्कृत महाविद्यालय द्वारका गुजरात

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