Thursday, May 16, 2019

Aham rashtri sangmani - Rig veda mantra meaning in Hindi

अहं राष्ट्री संगमनी वसूना चिकितुषी प्रथमां यज्ञियानाम्| 
तां मा देवा व्यदधुः पुरूत्रा भूरिस्थात्रां भूर्या वेशयन्तीम्||

अहं समग्रस्य जगत ईश्वरी अस्मि,धनानां प्रापयित्रि,अनुसंन्धानकत्री,अनेकेषु रूपेषु अवस्थिता बहुषु पर्दाथेषु आवेशययन्तीं मां देवाः स्थापितवन्तः| विभिन्नः देवाः पूजयन्ते यत्तत् ममैव पूजनं भवति||

मैं सम्पूर्ण जगत की स्वामिनी हूँ,धनों को प्राप्त करने वाली,खोज करने वाली,ज्ञान से संपन्न ब्रह्म को जानने वाली और पूजनीय देवों में प्रथम हूँ |
अनेक रूपों में अवस्थित बहुत सी वस्तुओं में प्रवेश करने वाली मुझे देवताओं ने विभिन्न स्थानों में रखा है,विभिन्न देवताओं की जो पूजा की जाती है,वह वस्तुतः मेरी ही पूजा है|

वाक् सूक्त-ऋग्वेद(१०/१२५)

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