|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *कूटप्रश्नः* " ( ३१९ )
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*श्लोक*-----
" तातेन कथितं पुत्र पुत्रं लिख ममाज्ञया ।
नतेन लिखितं पत्रं पितृराज्ञा न लङ्घिता ।।
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*अर्थ*---
पिता ने पुत्र को पत्र लिखने के लिये कहा , उसने वह लिखा नही किन्तु पिता की आज्ञा का उल्लंघन भी किया नही ।
यह कैसे संभव है ?
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*गूढ़ार्थ*-----
नतेन शब्द का विच्छेद करने के बाद = नतेन= न+ तेन ।
इस शब्द के विच्छेद के बाद दुसरे चरण का अर्थ उसने पत्र लिखा नही और आज्ञा का उल्लंघन भी किया नही ।
किन्तु नतेन यही एक शब्द पकड के अर्थ निकाला तो नतेन = नम्रतासे।
अब अर्थ ऐसा निकल रहा है कि--"" उसने नम्रतासे पत्र लिखा और पिता की आज्ञा का उल्लंघन भी किया नही ।
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / नागपुर महाराष्ट्र
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