Monday, March 18, 2019

Sanskrit ganga

|| *ॐ* ||
    " *संस्कृत-गङ्गा* " ( २६ )
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(कल्पसूत्र) " *धर्मसूत्र*  "
धर्मसूत्र गृह्यसूत्रों के आगे मानव जीवनशोधन की आचार--संहिता कहे जाते है। जिस प्रकार गृह्यसूत्रों में गार्हस्थ जीवन संस्कार एवं अन्य धार्मिक क्रिया कलापों से व्यक्ति को समाज का योग्य एवं श्रेष्ठ मानव के रूप में निर्मित करने का प्रयास किया जाता है उसी तरह धर्मसूत्रों में मानवीय जीवन को व्यवस्थित करने के नियमों की सर्जना की गयी है। धर्म का स्वरूप  एवं उसके उपादन ,सभी वर्णों के कर्तव्याकर्तव्य ,वर्णाश्रम धर्म की व्याख्या, चारो आश्रमों के समय ,नियम एवं कर्तव्य का निर्धारण, विभिन्न जातियों के विभाग,सपिण्ड एवं सगोत्र परिवारों की  परिधि,विभिन्न  प्रकार  के व्रत,  अशौचकाल तथा शुद्धियों के प्रकार ,अपराध तथा दण्ड विधान ,ऋण तथा उसके व्याज,साथी के कर्तव्य, राजा तथा प्रजा के अधिकार एवं कर्तव्य, स्त्री,पुत्र, दत्तक पुत्र तथा पति के कर्तव्य, उत्तराधिकार के नियम तथा  सम्पत्ति विभाजन की विधाओं का सविस्तर वर्णन इन धर्मसूत्रों में किया गया है। धर्मसूत्रों में सामान्यतया वेद को ही धर्म का मूल माना गया है--
"वेदो धर्ममूलम्" (गो• ध•सू•१) आचार्य मनु ने वेद के अतिरिक्त समस्त धार्मिक  साहित्य को स्मृति कहा है--"श्रुतिस्तु वेदो विज्ञेयो धर्मशास्त्रं तु वै स्मृतिः।" वस्तुत धर्म की परिभाषा धर्मसूत्रों ने भिन्न रूप से की है। वसिष्ठ धर्मसूत्र--- "श्रुति स्मृतिविहितो धर्मः।" से धर्म को परिभाषित करता है। वसिष्ठ ने आचार एवं नैतिकता पर अधिक बल दिया है---
"आचारः प्रमोद धर्मः सर्वेषामिति निश्चयः।
हीनाचारपरीतात्मा प्रेत्य चेह च नश्यति।।"(व•ध•सू•६•१)
धर्मसूत्रों में हिंसा का दृढता के साथ निषेध किया गया है--- "नित्यमहिंस्त्रो मृदुदृढकारी दमदानशीलः।"अपराधी के दण्डविधान में उसके वर्ण पर विशेष विचार किया गया है। शूद्र यदि किसी उच्चवर्ण वाले व्यक्ति का अपमान करता है तो उसकी जीभ तथा अड़्ग के कर्तन का दण्ड विहित है---
"शूद्रो द्विजातीनभिसन्ध्यायभिहत्य च वाक् दण्डपारुष्याभ्यामड़्गमोच्यो येनोपहन्यात्"। (गौ• ध• सू• २ •३ •१)   इसके विपरीत ब्राह्मण के लिए  शारीरिक दण्ड का विधान नही था। स्त्रीजाति के सम्बन्ध में धर्मसूत्र अत्यन्त उदार है। माता को आचार्य की श्रेणी में रखा गया है परन्तु स्त्री को पत्नी के रूप में स्वतन्त्रता नही दी गयी है---"अस्वतन्त्रा धर्मे स्त्री"( गौ •ध •सू •२• ९ •१) 
धर्मसूत्रों के नाम इस प्रकार है---
(१) गौतम धर्मसूत्र  (२) बौधायन धर्मसूत्र  (३) आपस्तम्ब धर्मसूत्र  (४) हिरण्यकेशी धर्मसूत्र  (५) वसिष्ठ धर्मसूत्र  (६) विष्णु धर्मसूत्र ।
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डाॅ.वर्षा प्रकाश टोणगांवकर 
पुणे / महाराष्ट्र
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