Tuesday, February 19, 2019

Double meaning Sanskrit sloka - Parvati cried on Shiva falling....???!!

|| ॐ || 
|| सुभाषितरसास्वाद् || 
" कूटानि " [ ३०७ ] 
श्लोक—
शङ्करम पतितं दृष्ट्वा पार्वती हर्षनिर्भरा | 
रुरुदुः पन्नगाः सर्वे हा हा शङ्कर शङ्कर || 
अर्थ—शंकर को गिरा हुआ देखकर पार्वती अति आनंदित हो गयी | और सब पर्वत [ पन्नगा ] हा हा शंकर हा हा शंकर ऐसा कहकर रोने लगे | 
गुढार्थ—शंकर को गिरा हुआ देखकर, पार्वती कैसे आनन्दित होगी ? 
अब इस श्लोक में " शंकर और पार्वती " का दूसरा अर्थ लेना पड़ेगा | वह ऐसा – 
चंदन के उत्तम वृक्ष [ शंकर ] को गिरा  हुआ देखकर पर्वत में रहेनेवाली [ पार्वती ] भिल्लीण आनंदित हो गयी और उस चंदन को लिपटकर रहेनेवाले; उसके मादक सुगंध के कारण रहेनेवाले सांप [ पन्नगा ] शोक करने लगे " हा हा यह चंदन का उत्तम वृक्ष [ शंकर ] क्यों गिरा ? 
अब शंकर और पार्वती पर का श्लेषार्थ स्पष्ट हो गया | 
ॐॐॐॐॐ 
डॉ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर 
पुणे / महाराष्ट्र 
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