Thursday, November 15, 2018

sunset description - Sanskrit

|| ॐ ||
   " सुभाषितरसास्वादः " 
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      " सूर्यास्तवर्णन " ( २४८ )
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    श्लोक----
   "  परिपतति  पयोनिधौ  पतङ्गः---
      सरसिरुहामुदरेषु  मत्तभृंगः  ।
     उपवनतरुकोटरे  विहङ्ग---
    स्तरुणिजनेषु  शनैः  शनैरनङ्गः  ।।  "
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   अर्थ----
   सूर्य  समुद्र  में  डूब  रहा  है ---
    भ्रान्त  भ्रमर  कमल  के  पेट  में  जा  रहा  है ।
   पंछी  अपने  घोसले  में  लौट  रहे  है ।
तरुणीयों  के  ह्रदय  में  मदन  प्रवेश  कर  रहा  है ।
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    गूढ़ार्थ-----
    दन्तकथा  ऐसी  है  ---  राजा  भोज  ने  प्रथम  पंक्ति  की  रचना  की  और  पास  में   बैठे  हुए  बाण ,  महेश्वर  और  कालिदास  को  यही  वर्णन  अलग - अलग   उत्प्रेक्षा  देकर  रचने  को  कहा  ।
    भोज --  सूर्य  समुद्र  में डूब  रहा  है ।
दुसरी  पंक्ति बाण  ने  रची  और  तीसरी  पंक्ति  महेश्वर ने  रची  आखरी  और  चौथी  पंक्ति  कालिदास  ने  रची  ।
कालिदास  का  रंगेलस्वभाव  सब  को  परिचित  है ही,  इसलिये  उसने  --
   सूर्यास्त  होते  ही ---  तरुणीयों  के  ह्रदय  में  धीरे  से  मदन प्रवेश  कर  रहा  है ।  शाम  की  जो  अस्वस्थता  ( हूरहूर ) उसका  कितना  सुन्दर वर्णन  कालिदास  ने किया  है ।  
है  न  वैशिष्टयपूर्ण  ?
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   卐卐ॐॐ卐卐
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   डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /  नागपुर  महाराष्ट्र 
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