|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *प्रहेलिकाः* " ( २६१ )
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*श्लोक*----
" नानावर्णा वायुना चाल्यमाना
उड्डीयन्ते सूत्रधारस्तु भूमौ ।
स्पर्धावन्तश्चाम्बरे युध्यमानाः
छिन्ने सूत्रे मर्त्यलोकं विशन्ति ।। "
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*अर्थ*---
विविध वर्ण से युक्त हूँ और वायु के द्वारा मैं चलायी जाती हूँ ।
मैं आकाश में उडती हूँ लेकीन मेरा सूत्रधार भूमि पर ही रहता है।
जब मैं आकाश में स्पर्धा करती हूँ तब युद्ध का वातावरण हो जाता है , जब सूत्र कट जाता है तो छिन्न मस्तक होकर मै मर्त्यलोक में आ जाती हूँ ।
तो मैं कौन हूँ?
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*गूढ़ार्थ*--
पतंग
kite----पतंग
kite---------------------------------------------------------------------------------
*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / नागपुर महाराष्ट्र
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