|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *प्रहेलिकाः* " ( २५३ )
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*श्लोक*---
" साहित्यसङ्गीतकलाभियुक्तो
विज्ञानशास्त्रे गणितेषु तज्ज्ञः ।
सर्वं करिष्ये तव चोदनेन
हा ! हन्त ! सर्वं तव बुद्धिरेव ! ।। "
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*अर्थ*----
साहित्य, सङ्गीत और कला से युक्त हूँ । विज्ञान और गणित में भी निपुण हूँ । यह सब आप जब मुझे शुरू करते है तो होता है किन्तु हा ! हन्त ! किन्तु यह सब आपकी ही बुद्धी से ही होता है।
मै कौन हूँ ?
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*गूढ़ार्थ*---
संगणकम् 🖥
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / नागपुर महाराष्ट्र
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