|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *तरुः* "( वृक्ष ) ( २३७ )
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*श्लोक*---
"दशकूपसमा वापी दशवापीसमो ह्रदः ।
दशह्रदसमः पुत्रो दशपुत्रसमो द्रुमः " ।। ( शा. प. )
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*अर्थ*----
एक जलकुंड दस कुएँ के समान है । एक तालाब दस जलकुंड के बराबर है । एक पुत्र का दस तालाब इतना महत्व है । और एक वृक्ष का दस पुत्रों इतना महत्व है ।
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*गूढ़ार्थ*---
प्रस्तुत सुभाषित हमे पर्यावरण रक्षा का संदेश देता है । महाभारत के शांति पर्व मे आये इस सुभाषित का विशेष महत्व है । क्यों कि वृक्ष की तुलना सिधे दस पुत्रों से की गयी है ।
हमारे ऋषि --मुनि और पूर्वज द्रष्टा थे उन्होने हमे पर्यावरण बढाने का तथा उसकी रक्षा करने का आदेश ही दिया है समझो ।
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / नागपुर महाराष्ट्र
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