|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *कूटानि* " अथवा " *विषमप्रश्नः*" ( २१४ )
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*श्लोक*----
" केशवं पतितं दृष्ट्वा द्रोणो हर्षमुपागतः ।
रुदन्ति कौरवाः सर्वे हा केशव कथं गतः " ।। ( शार्ङ्गधरपद्धति )
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*अर्थ*----
इस श्लोक का प्रकट अर्थ --- श्रीकृष्ण ( केशव ) को गिरा हुआ देखकर द्रोणाचार्य ( द्रोण ) आनंदित हुए और सब कौरव ( कौरवाः ) रोने लगे और कहने लगे , हाय ! हाय ! केशव गया ?
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*गूढ़ार्थ*-----
इस श्लोक के अर्थ में बहुत विरोधी विधाने है । द्रोणाचार्य कौरव पक्ष के सेनापति थे , पर वह इतने नीच नही थे की श्रीकृष्ण को युद्ध में गिरा हुआ देखकर आनंददित होंगे । और दूसरी महत्वपूर्ण बात यह थी की , महाभारत युद्ध मे श्रीकृष्ण गिरे ही नही थे । और श्रीकृष्ण को गिरा हुआ देखकर कौरवों ने तो बहुत खुश होना चाहिए था ?
इस श्लोक के सही अर्थ के लिये-- केशव = के + शव।
'के' = मतलब पानी ।' शव ' = मृत शरीर ।
पानी में गिरा हुआ शव देखकर जलकाक ( द्रोण ) पक्षी आनंदित हुए और लोमडीया ( कोल्हे ) ( कौरवाः ) रोने लगे की -- हाय ! हाय! पानी ( के ) में शव क्यों गिरा ? क्यों कि अब हम उसे खा नही सकेंगे ।
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / नागपुर महाराष्ट्र
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