Wednesday, September 12, 2018

Who is a Chandala ? -Sanskrit subhashitam

||ॐ||
"चाण्डालः  पक्षिणां  काकः पशूनां  चैव  कुक्कुरः।
कोपो  मुनीनां  चाण्डालश्चाण्डालः  सर्वनिन्दकः"।। ( १७९ )
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अर्थ--" पक्षियों  में  कौआ चाण्डाल  होता  है  तो  जानवरों  में  कुत्ता  चाण्डाल  होता  है।  मुनियों  में  बहुत  गुस्से  जिसको  आता  है  वह  चाण्डाल  होता  है और  जो  सब  की  निन्दा  करता  है  वह  असली  चाण्डाल  होता  है।"
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यहाँ  पे  सुभाषितकार  ने  कौए  को  चाण्डाल इस  लिए कहा  है  कि वह  सभी  का  पिण्ड  भक्षण  करता  है  और  पिण्ड  भक्षण  कोई  अच्छा  काम  नही  होता । कुत्ते  को  चाण्डाल इसलिए  कहा  है  कि वह  भी  भक्ष्य-- अभक्ष्य  सभी  कुछ  खाता  है ।
मुनियों  में  कोपिष्ट  व्यक्तियों  को चाण्डाल  कहा  गया  है  वह  इसलिए  की  गुस्से  में  आदमी  पागल  हो  जाता  है  उसे  अच्छे -- बुरे  का  ध्यान  नही  रहता। और   अंतिमतः  जो  सब  की  निंदा  करता  वह  भी  चाण्डाल होता  है  क्यों  की  निंदा  करते  समय  उसे  उंच--नीच, छोटे--बडे  और क्या  बोले  जा  रहा  है  इसका  ध्यान  नही  रहता  इसलिए  वह  सामाजिक  चाण्डाल हो गया  जो  बहुत  ही  घातक  सिद्ध  होता  है।
कम  शब्दों  में  सामाजिक  कीड  कौन  हो  सकती  है  यह  सुभाषितकार  ने  कहा  है।
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
नागपुर  महाराष्ट्र  
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