Monday, August 20, 2018

Vajpayee sradhhanjali pancakam -Sanskrit

*अश्रुपूर्णश्रद्धाञ्जलिपञ्चकम्।*



पर्यट्य भारतभुवि प्रचुरं नृसेवी
        नव्यं विकास्य कमलं किल वाजपेयी।
जीवन् गतो दिविषदां नगरं मृतारि:
         शृण्वन्तु हे सहृदया अटलो विहारी।। 1

व्यर्थं ब्रवीषि निजराष्ट्रज एष नेता
           मृत्युं गतोऽद्य मतिमानटलो विहारी।
श्रान्तिं विनेतुमहहा दिवि देवतात्मा
           मन्ये विशालहृदयो गतवान् महात्मा। 2

मृत्वापि यो जनमनस्सदने दयालु:
             राराज्यते कविवर: प्रथित: कृपालु:।
भूत्वा युवा सकलराष्ट्रसुखाय सद्य:
           श्रीमान् चलिष्यति महान् जननायकोऽयम्।। 3

केचिद् रुदन्ति सहसा विलपन्ति केचित्
             केचिद्रवन्ति मनुजा मृतिवृत्तदु:खै:।
केचित् कपोलयुगलं स्रवदश्रुपातै:
             संक्षालयन्ति जनताजनकप्रयाते।। 4

रोरोत्ति दिव्यवसुधा निजपुत्रमृत्युं
             श्रुत्वाधुना शृणुत हे कवय: दयार्द्रा।
शून्याङ्कमेव विकला प्रविलोक्य मूर्च्छा-
              मेतीव हन्त हृदयं वदतीह तीव्रम्।5



                     ****अरविन्द:।

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