Monday, July 23, 2018

Winnow -Sanskrit simile

|| *ॐ* ||
   " *वन्देसंस्कृतमातरम्* "
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   " *लौकिकन्यायकोशः* " ( १३३ )
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      " *शूर्पन्यायः* " 
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   शूर्पः  धान्यस्य  स्वच्छतासंपादनाय  उपयुज्यते ।  स  च  धान्ये  वर्तमानान् अनावश्यकान्  शिलाकणान्  दूरी  करोति  आवश्यकं  च  धान्यं  समीकरोति।
एवं  मेधावी  दोषान्  दूरीकृत्य  गुणान्  एव  स्विकरोति  इति  भावः ।  एवमेव शिष्यः  गुरूणां  गुणान्  आददीत  न  दोषान्  इति  तात्पर्यम् ।
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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 डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  / नागपुर  महाराष्ट्र 
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