Monday, July 16, 2018

Padyam-Sanskrit

🌷☺ *पद्यम्*☺🌷

जलवाहिनीकरकंकणक्वणनप्रियश्रवणं कुत:
नवकामिनीमुखचन्द्रिकाचयशीतलं नयनं कुत:।
रसभावपङ्कजकोषमधुमकरन्दसंग्रहणं कुत:
अयि मानवोचितरूपधर!वद जीवने रमणं कुत:।।

🌷🌹 *भावार्थः*🌷🌹

    जलवाहिनि के हाथ के कंगन की खनक सुनने को आतुर अव श्रवण(कान)कहाँ हैं? नई कामिनी के मुखचन्द्र की चन्द्रिका से शीतल नयन कहाँ हैं? रस भाव रूप प कमल कोष के मधु मकरन्द का संग्रह अब कहाँ होता है? अयि मानव के लिये उचित रूप को धारण करनेवाले! ये बताओ कि अब जीवन में रमण(आनन्द)कहाँ है?

**निरञ्जनमिश्रवर्याः🙏🏻🙏🏻

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