|| *ॐ* ||
" *वन्देसंस्कृतमातरम्* "
-----------------------------------------------------------------------------------
" *लौकिकन्यायकोशः* " ( १२५ )
-----------------------------------------------------------------------------------
" *वत्सक्षीरन्यायः* "
----------------------------------------------------------------------------------
अचेतनम् अपि क्षीरं वत्सस्य शरीरपोषणार्थं गोस्तनात् स्त्रवति ।
तथा अचेतनायाः प्रकृतेः विविधपरिणामः सचेतनस्यणामः पुरुषस्य भोगार्थ भवति इति सांख्यसिद्धान्तः ।
*यथा*--- वत्सविवृद्धिनिमित्तं तथा प्रवृत्तिः प्रधानस्य ।।
( सांख्यकारिका ५८ )
-----------------------------------------------------------------------------------
*卐卐ॐॐ卐卐*
-----------------------------
डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / नागपुर महाराष्ट्र
-------------------------------------
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴
No comments:
Post a Comment