स्योना पृथिवि नो भवानृक्षरा निवेशनी।यच्छा नःशर्म सप्रथाः।।(ऋ०१/२२/१५,शु०य०३५/२१,३६/१३)
भौमस्य प्रत्यधिदेवता-धरा।तस्यै नमः।सा सर्वान् संरक्षतु।
भूमिसुत मङ्गलग्रह की प्रत्यधिदेवता पृथ्वी माता है। ग्रहों में यह शक्ति का केन्द्र है।भगवती वसुधा स्वसुत भौम को पूर्णतः नियन्त्रित करें,जिससे विश्व में सर्वत्र शान्ति हो,मानवता विजयिनी हो तथा धरा पर निरपराध जीवों की हत्या, वृथा रक्तपात तथा सुजनों का उत्पीडन समाप्त हो। शं सर्वत्र। जयतु धर्मःसंस्कृतिश्च।
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