Courtesy Sri bharat
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*यथा देशस्तथा भाषा यथा राजा तथा प्रजाः ।*
*यथा भूमिस्तथा तोयं यथा बीजं तथाङ्कुरः ॥*
जैसा देश वैसी बोली,
जैसा राजा वैसी प्रजा,
जैसी जमीन वैसा पानी,
और जैसा बीज वैसा अंकुर होता है ।
*।। हमारे लिए हमारी तकदीर किसी बाहरी शक्ति ने नहीं बनाई है; हम अपने लिए इसका निर्माण खुद करते हैं। हम वर्तमान में जो सोचते हैं और करते हैं, उसी से तय होता है कि भविष्य में हमारे साथ क्या होगा।।*
🙏🏻💐🙏🏻आपका दिवस मंगलमय हो।🙏🏻💐🙏🏻💐🌺🌸🌷💐🌺🌸🌷💐🌺🌸
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