Friday, April 6, 2018

Kalaantakaashtakam -Sanskrit

॥ श्रीकालान्तकाष्टकम् ॥

कमलापतिमुखसुरवर-
पूजित काकोलभासितग्रीव ।
काकोदरपतिभूषण
कालान्तक पाहि पार्वतीनाथ ॥ १ ॥

कमलाभिमानवारण-
दक्षाङ्घ्रे विमलशेमुषीदायिन् ।
नतकामितफलदायक
कालान्तक पाहि पार्वतीनाथ ॥ २ ॥

करुणासागर शम्भो
शरणागतलोकरक्षणधुरीण ।
कारण समस्तजगतां
कालान्तक पाहि पार्वतीनाथ ॥ ३ ॥

प्रणतार्तिहरणदक्ष
प्रणवप्रतिपाद्य पर्वतावास ।
प्रणमामि तव पदाब्जे
कालान्तक पाहि पार्वतीनाथ ॥ ४ ॥

मन्दार नतजनानां
बृन्दारकबृन्दगेयसुचरित्र ।
मुनिपुत्रमृत्युहारिन्
कालान्तक पाहि पार्वतीनाथ ॥ ५ ॥

मारारण्यदवानल
मायावाराशिकुम्भसञ्जात ।
मातङ्गचर्मवासः
कालान्तक पाहि पार्वतीनाथ ॥ ६ ॥

मोहान्धकारभानो
मोदितगिरिजामनःसरोजात ।
मोक्षप्रद प्रणमतां
कालान्तक पाहि पार्वतीनाथ ॥ ७ ॥

विद्यानायक मह्यं
विद्यां दत्वा निवार्य चाविद्याम् ।
विद्याधरादिसेवित
कालान्तक पाहि पार्वतीनाथ ॥ ८ ॥

कालान्तकाष्टकमिदं
पठति जनो यः कृतादरो लोके ।
कालान्तकप्रसादात्
कालकृता भीर्न सम्भवेत्तस्य ॥ ९ ॥

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