Wednesday, April 4, 2018

Great sloka in sanskrit

मेघा नाद घटा घटा घट घटा घाटा घटा दुर्घटा, 

मण्डूकस्य बको बको बक बको बाको बको बूबको । 

विद्युज्ज्योति चकी मकी चक मकी चाकी मकी दृश्यते, 

इत्थं नन्दकिशोरगोपवनितावाचस्पति: पातु माम् ।।
अर्थात

मेघ यानी बादल ज़ोर ज़ोर से गरज रहें हैं, बरस रहे हैं 
मण्डुकस्य यानी मेंडक बाहर आ कर इस बारिश में "बक बक" सी अपनी मधुर ध्वनी चारों ओर फैला रहे हैं
बिद्युत ज्योति यानी बिजलियाँ अपनी चमक धमक से इस द्रश्य को सुशोभित कर रही हैं
और एसे ही भव्य वातावरण में बाल गोपाल क्रष्ण अपनी बचपन की लीलाएँ कर रहे हैं।

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