*न दानैः शुध्यते नारी नोपवासशतैरपि।*
*न तीर्थसेवया तद्वद् भर्तुः पादोदकैर्यथा।।*
भावार्थ👉🏻 *जो स्त्री पतिव्रता-धर्म का पालन करते हुए पति-सेवा में निरंतर लीन रहती है, उसे दान, व्रत, तीर्थ-यात्रा तथा पवित्र नदियों का स्नान करने की कोई आवश्यकता नहीं होती। वस्तुतः पति-सेवा रूपी तप में स्वयं को समर्पित कर वह परम पवित्र हो जाती है।*
*🙏💐🌷🌻सुप्रभातम🌻🌷💐🙏*
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