*८१२ . ॥ मृदुता ॥*
*मृदुना दारुणं हन्ति*
*मृदुना हन्त्यदारुणम् ।*
*नासाध्यं मृदुना किञ्चित्*
*तस्मात्तीव्रतरं मृदु ॥*
मृदुपणाने भयंकर शत्रूचा नाश करता येतो आणि मृदुपणाने भयंकर नसलेल्या शत्रूचाही नाश करता येतो . मृदुपणाने असाध्य असे काहीच नाही . म्हणून मृदुपणा हा प्रत्यक्षात तीक्ष्णापेक्षाही अधिक तीक्ष्ण आहे .
मृदुता से उग्र स्वभाव के शत्रु का नाश कर सकते हैं तथा शान्त स्वभाव के शत्रु का भी नाश कर सकते हैं । मृदुता से कुछ भी असाध्य नहीं हैं । अतः मृदुतापूर्ण नीति तीव्र से भी तीव्रतर हैं ।
The gentle conquer the pliant , the gentle conquer the violent too . There is nothing that gentleness cannot conquer . Hence , gentleness is the most penetrating virtue .
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