Thursday, October 28, 2021

Slow 5 things Chanakya - Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
   " *सुभाषितरसास्वादः* " 
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   " *सामान्यनीति* " ( २६८ )
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*श्लोक*---
  " शनैः पन्थाः शनैः कन्थाः शनैः पर्वतमस्तके ।
   शनैः विद्या , शनैः वित्तं पञ्च एतानि शनैः शनैः ।। ( चाणाक्य नीतिशास्त्र)
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*अर्थ*---
  प्रवास का मार्ग धीरे २ आक्रमण करना चाहिये । रजाई धीरे २ सिनी चाहिए । पर्वत शिखर पर धीरे २ चढना चाहिए । कोई भी विद्या धीरे २ सिखनी चाहिये। और धन भी धीरे २ ही अर्जित करना चाहिए ।
यह पांच चीजे धीरे २ ही करनी चाहिए ।
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*गूढ़ार्थ*---
  प्रवास का मार्ग धीरे धीरे ही चलना चाहिए वर्ना थक जायेंगे तो आगे अपने स्थान तक पोहचना मुश्किल हो जायेगा । रजाई भी धीरे धीरे सिनी चाहिए वर्ना सुई चुभने का डर रहता है । पर्वत शिखर सब धोके टालकर और रास्ता देखकर ही चढना चाहिए वर्ना फिसलने का डर रहता है । विद्या हमेशा ही चिन्तन मनन करके धीरे धीरे सिखनी चाहिये । धन भी विचारपूर्वक अच्छे मार्ग से धीरे-धीरे अर्जित करना चाहिए ।  
यहाँ पर कन्था का एक और अर्थ है और वह है संन्यास ।
मतलब संन्यास सोच विचार करके ही लेना चाहिए । सब ज़िम्मेदारी खत्म हो गयी है तो ही संन्यास के लिये सोचना चाहिए ।
समर्थ रामदास स्वामी ने कहा ही है कि --
" आधी प्रपंच करावा नेटका । मग परमार्थ घ्यावा विवेका ।। "
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर 
पुणे / महाराष्ट्र 
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