Tuesday, August 3, 2021

Who is a dharmavir - Sanskrit subhashitam

*६८० . ।। धर्मवित् ।।*

*चत्वारि यस्य द्वाराणि*  
          *सुगुप्तान्यमरोत्तमाः ।*
*उपस्थमुदरं हस्तौ* 
          *वाक्चतुर्थी स धर्मवित् ॥*

जो मनुष्य आपले उपस्थ , उदर , दोन्ही हात व वाणी ही चार द्वारें नियंत्रणात ठेवतो तोच धर्म जाणणारा होय .

जिस पुरुष के उपस्थ , उदर , दोनों हाथ और वाणी ये चारों द्वार सुरक्षित होते हैं , वही धर्मज्ञ हैं ।

A person who keeps his genitals , stomach , both the hands and speech in control , is the man who knows _Dharma_.

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