Sunday, August 29, 2021

Umbrella _ Sanskrit puzzle

|| *ॐ* ||
   " *सुभाषितरसास्वादः* "
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    " *प्रहेलिकाः* " ( १९१ )
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    *श्लोक*---
  " भूपस्योपरि  सन्मानार्थं 
     मनुजमस्तके  स्वत्राणार्थम् ।
      प्रावृटकाले  वर्षापातात् 
      ग्रीष्मे  रक्षाम्यातपतापात् ।।
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    *अर्थ*--- 
  राजा  के  उपर  सम्मान  के  लिए 
   मनुष्य  के  मस्तक  पर  रक्षण  के  लिए ।
   वर्षा  ऋतु  में  बारिश  से  और ---
   ग्रीष्म  में  धूप  से  रक्षा  करता  हूँ  ।।
तो  मै  कौन  हूँ  ?
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    *गूढ़ार्थ*----
छत्रं 
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   *卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /  महाराष्ट्र 
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[29/04, 11:43 AM] +91 88974 94757: छत्रम्

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