|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *मौनगुणाः*" ( २४६ )
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*श्लोक*---
" आत्मनो मुखदोषेण बध्यन्ते शुकसारिकाः ।
बकास्तत्र न बध्यन्ते मौनं सर्वार्थसाधनम् "।। ( पञ्चतन्त्रम् )
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*अर्थ*-----
शुक और सारिका अपने मुखदोष के कारण ( मीठा बोलना यही उनका गुन्हा ) कैद किये जाते है किन्तु बगुले को कोई नही पकड़ता क्यों कि वह हमेशा मौन ही रहता है ।
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*गूढार्थ*----
शुक और सारिका ज्यादा बोलने के कारण पिंजरे में कैद हो जाते है। किन्तु बगुला हमेशा मौन रहता है इसलिए वह आज़ाद घूमता है।
मौन ही सर्व सिद्धी का कारण है । यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए ।
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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