Tuesday, July 27, 2021

Lord dwells in heart - Bhagavad Gita

*६४३ . ।। भ्रामयति ।।*

*ईश्वर: सर्वभूतानां* 
          *हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति ।*
*भ्रामयन्सर्वभूतानि* 
          *यन्त्रारूढानि मायया ॥*

श्रीकृष्ण म्हणतात , हे अर्जुना ! परमेश्वर सर्व भूतांच्या अंतर्यामी वास करतो व
आपल्या मायेच्या योगाने शरीररुपी यंत्रावर चढविलेल्या कळसूत्री बाहुल्यांप्रमाणे सर्व
भूतांना नाचवीत असतो.

श्रीकृष्ण कहते हैं , हे अर्जुन ! ईश्वर सम्पूर्ण प्राणियों के हृदयमें रहता हैं और अपनी माया से शरीररूपी यन्त्रपर आरूढ़ हुए सम्पूर्ण प्राणियों को भ्रमण कराता रहता हैं । 

The Lord dwells in the hearts of all beings , Oh _Arjuna_ , making them revolve like puppets mounted on a machine ,  by his power of illusions .

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