|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *प्रहेलिकाः* " ( ९८)
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*श्लोक*---
" विनायकपतेः शत्रुस्तस्य नाम षडक्षरम् ।
पूर्वार्धं तव राजेन्द्रम् उत्तरार्धं तु वैरिणाम् " ।।
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*अर्थ*---
नाम में छह अक्षर वाला , जो विनायकपती का शत्रू है , जिसके नाम में पूर्वार्ध में आपका नाम है और उत्तरार्ध में आपके वैरी का नाम है तो वह कौन है ?
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*गूढ़ार्थ*----
विनायकपतेः इस शब्द का विग्रह ( वि +नायक +पतेः ) ऐसा करने के बाद विनां नायकस्य पतेः = पक्षियों का नायक गरूड और उसका धनी विष्णु ऐसा अर्थ हो रहा है । अब उसका शत्रु *हिरण्यकश्यपू* इस नाम में छह अक्षर है ।
उस नाम का पूर्वार्ध हिरण्य यह ( = विष्णु ) का नाम है और उत्तरार्ध कछुआ की तरह निद्रीस्थ यह उसके शत्रु का नाम है ।
तो उत्तर हुआ *हिरण्यकश्यपू*।
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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