Wednesday, October 28, 2020

Glory of bhagya- Balichakaravarti-Sanskrit Subhashitam

॥ ॐ ॥
| सुभाषित रसास्वादः || [३३५]

'' भाग्यमहिमा ''

'' दाता बलिः प्रार्थयिता च विष्णुः,र्दानं भुवो वाजिमखस्य कालः |

नमोऽस्तु तस्यै भवितव्यतायै, यस्याः फलं बन्धनमेव जातं || ''

अर्थ—बलिराजा के समान दानी, विष्णु भगवान जैसा याचक, पृथ्वी का दान तथा अश्वमेध का पवित्र काल, इतना सबकुछ होने पर भी बलि राजा बाँध गये , भाग्य को नमस्कार हें |

गूढार्थ—सब कुछ  शुभपुण्यफलदायक वातावरण और दानी और याचक इतने महान होने के बाद भी बलि भाग्य के कारण बंधित हो गये या बंधन में पड गये |

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

डॉ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर

पुणे / महाराष्ट्र

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