Monday, July 20, 2020

Wealth always comes with a poison - Sanskrit subhashitam

||ॐ||
"सुभाषित  रसास्वाद"
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"लक्ष्मी-- स्वभाव" (२१६ )
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श्लोक--
" वाक्चक्षुः  श्रोत्रालयं  लक्ष्मीः  कुरुते  नरस्य  को  दोषः।
गरलसहोदरजाता  तच्चित्रं  यन्न  मारयति"।।
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अर्थ--
लक्ष्मी(धन--द्रव्यादी)  मनुष्य  की  वाणी,  दृष्टी  और  श्रवणशक्ति  नष्ट  करती  है , इसमें  उस  मनुष्य  का  क्या  दोष?  क्यों  कि  समुद्रमंथन  के  समय  हलाहल  के साथ  ही  तो  लक्ष्मी  का  जन्म  हुआ है ।  इसलिए  जैसा  विष  मारक  होता  है  तो  उसका  थोडा  प्रभाव  तो  लक्ष्मी  पर  भी आयेगा ही।  किन्तु  लक्ष्मी  धनिकों  का  केवल  वाणी, दृष्टी  और  श्रवणशक्ति  ही  नष्ट  करती  है  विष  के  जैसी  उसकी  प्राणशक्ति  नष्ट  नही  करती।
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गूढार्थ--
धनी  व्यक्ति  के  पास  जब  धनरूपी  लक्ष्मी  आ  जाती  है  तो  वह  किसिका  सुनता  नही  और  न ही  किसीसे  बात  करता  है, न  देखता  है, न  बोलता है । यह  भाव  यहाँ  पर  है । किन्तु  फिर  भी  लक्ष्मी  विष के  समान  किसीका  प्राणहरण  नही  करती  यह  भी  उसकी  कृपा  ही  कही  जायेंगी ।  कितने  सूक्ष्मता  से  धनी  व्यक्ति  का  वर्णन  यहाँ  पर किया  गया है।
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डाॅ.  वर्षा   प्रकाश   टोणगांवकर 
पुणे   / महाराष्ट्र 
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