Thursday, July 30, 2020

Rama never does this twice - Sanskrit sloka

|| *ॐ* ||
    " *सुभाषितरसास्वादः* "
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    " *रामस्तुति* "  ( २०७ )
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   *श्लोक*----
     " द्विः  शरंन  अभिसंधत्ते  द्विः  स्थापयति  न  आश्रितान ।
        द्विः  ददाति  न  च  अर्थिभ्यः, रामो  द्विः  न  एव  भाषते ।।"
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    *अर्थ*-----
    राम  दो  बार  शरसंधान  नही  करते ,  आश्रितों  को  दो  बार  आधार  नही  देते ।  याचकों  को  भी  दो  बार  दान  नही  करते ।  और  वचन  भी  दो  बार  नही  देते।
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*गूढ़ार्थ*---
   कोई  रामभक्त  सुभाषितकार  राम  के  बारे  में  बता  रहा  है  की,--
राम  एकबार  ही  बाण  चलाते  है  इसलिए  हम  उन्हे एकबाणी  मानते  है ।
   वह  आश्रितों  को  भी  दो  बार  आश्रय  नही  देते  तो  एक  बार  और  कायमस्वरूपी  आश्रय  देते  है ।  याचकों  को  भी  एक  ही  बार  इतना  दान  दे देता  ही  उसे  दुबारा  किसी  के  पास  याचना  करने  की  जरूरत  ही  नही  पड़नी  चाहिए ।  और  राम  का  एकवचनी  यह  गुण  तो  प्रसिद्ध  ही  है ।  एकवचनी , एकबाणी , एकपत्नी  राम  तो  समाज में  प्रसिद्ध  है  ही।  ऐसे  श्रीराम  को 👏👏👏👏👏👏
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ . वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /  महाराष्ट्र 
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