Thursday, July 23, 2020

How to recognise ? _ Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
     " *सुभाषितरसास्वादः* "
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    " *सामान्यनीति* " (  २१५ )
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     *श्लोक*----
   " गावो  गन्धेन  पश्यन्ति ,  वेदैः  पश्यन्ति  वै  द्विजाः ।
     चारैः  पश्यन्ति  राजानः  चक्षुर्भ्याम  इतरे  जनाः ।। " (  पञ्चतन्त्र )
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   *अर्थ*----
   गन्ध  से  गायों  को  समझता  है ।  वेदों  की  साहय्यता  से  ब्राह्मण  को  और   राजा  को  गुप्तचरों /  गुप्तहेरों  से  दिखता  है  किन्तु  सामान्य  जनों  को  दोनो  आंखो  से  ही  दिखता  है ।
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   *गूढ़ार्थ*-----
   सुभाषितकार  ने  हमे  गाय  , ब्राह्मण  और  राजा  तीनों  का  वैशिष्ट्य  बताया  है ।  गाय  को  सूंघने  के  बाद  ही  अच्छे  बुरे  की पहचान  होती  है  ,  ब्राह्मण  को  वेदों  से  ही  जाना  जाता  है   या  ब्राह्मण  की  आंखे  ही  वेद  है ।  और  राजा  की  आंखे  उसके  गुप्तहेर  और  हम  सामान्य  मनुष्य  तो  अपने  दोनो आंखो  से  ही  देखकर  पहचान  कराता  है। 
हमारे  पास  असामान्यत्व  नही  है ।
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     *卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /  महाराष्ट्र 
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