Tuesday, May 12, 2020

These 3 things are done only once- Sanskrit Subhashitam

|| *ॐ* ||
              " *सुभाषितरसास्वादः* " 
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              " *राजनीति* " ( ५९ )
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*श्लोक*----
  "  सकृज्जल्पन्ति  राजानः  सकृज्जल्पन्ति  पंडिताः ।
      सकृत्कन्याः  प्रदीयन्ते  त्रीण्येतानि  सकृत्  सकृत् "।।
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   " *अर्थ* "-----
  राजा  एक  बार  ही  बोलता  है ,  पंडित  भी  एक  ही  बार  बोलता  है  और  कन्यादान  भी  एक  ही  बार  होता  है । यह  तीनों  चीजें  केवल  एक ही  बार  होती  है ।
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" *गूढ़ार्थ* "------
राजा  किसी  भी  चीज  के  लिए  एक  बार  ही  आदेश  देता  है । वह  बार-बार  अपना  आदेश  पलट  नही  सकता । नही  तो  प्रजा  का  उसपर  से  विश्वास  उठ  जायेगा ।
पंडित  भी  अपना  वचन  एक  ही  बार  बोलता  है ।  जिसे  आप्तवाक्य  प्रमाण  के  तौर  पर  देखा  जाता  है ।  आप्तवाक्य  या  पंडितों  का  बोलना  भी  बदलता  नही  है । ( ध्यातव्य-- पेशवे  के  न्यायाधीश  श्री. रामशास्त्री  प्रभुणे )
कन्यादान  भी  एक  ही  बार  किया  जाता  है ।  एक बार  गोत्रोच्चार  के  साथ  वर  के  गोत्र  में  वधू  का  गोत्र  मिलाकर  उसे  दान  दिया  जाता  है।
फिर  उसके  उपर  मातृगृह  का  कोई  अधिकार  नही  रहता ।
 ( ध्यातव्य--- जिस  घर  में  डोली  जायेगी  उसी  घर  से  अर्थी  उठेगी । यह  वचन )
कन्यादान  के  संदर्भ  में  काफी  लोगों  में  मतभेद  हो  सकते  है ।  आधुनिक  परिवेश  में  बहुत  लोगों  यह  बात  रास  नही  आयेगी  पर  यह  बाते  हमारे  शास्त्र में  लिखकर  रखी  गयी ।
यह  तीनों  बाते  पत्थर  की  लकीर  है  ऐसा  राजा  को  कहा  जा  रहा है।
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डाॅ.  वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /   महाराष्ट्र 
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