Sunday, May 17, 2020

The shadow of blue neck falling on Paravati adds her beauty - Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
   " *सुभाषितरसास्वादः* " 
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   " *पातु वः* " ( १७०)
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   *श्लोक*---
    "  कस्तूरीयन्ति  भाले ,  तदनु  नयनयोः  कज्जलयन्ति ; कर्णप्रान्ते  नीलोत्पलीयन्त्युरसि  मरकतालंकृतीयन्ति  देव्याः ।
रोमालीयन्ति  नाभेरुपरि  हरिमणीमेखलीयन्ति  मध्ये  कल्याणं कुर्युरेते  त्रिजगति  पुरभि  त्कण्ठभासां  विलासाः " ।।
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*अर्थ*---
   ( शिवकण्ठ की  काली , हरी  और  निली  छाया  पार्वती  के  देह  के  उपर  पडने  के  बाद  वह  क्या  क्या  आभास  उत्पन्न  कर  रही  है  इसका  वर्णन ) 
   वह  काली  छाया  पार्वती  के  मस्तक  पर  कस्तूरी  का  आभास  निर्माण कर  रही  है ; तो  नयनों  में  काजल  लगाया  है  ऐसी  दिख  रही  है ।
कानों पर  नीलकमल  पहने  हुए  है  ऐसा  लग  रहा  है ।  ह्रदयपर  पाचू का हार  पहना  है  ऐसा  भास  हो  रहा  है तो  नाभीपर  रोमाली  का  भास और  कमर के बाजू  में  पाचू  के  रत्नमेखला  का  आभास  हो  रहा  है ।
  ऐसी  शंकरकण्ठच्छायाविलास त्रिजगत  का  कल्याण  करे !
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*गूढ़ार्थ*---
  कितना  सुन्दर  सुभाषितकार ने  हमे  शिव - पार्वती  का  सारूप्य  बताया  है  न ?  शिव - शक्ति  के  अर्थ  का  एक  पहलू  यह  भी  हो  सकता  है ।
गौरवर्णीय  पार्वती  के  देह  पर  शिव  के  कण्ठ  की  छाया  पडने  के  बाद  होनेवाला  आभास  बहुत  ही  मनोरम  तरीके  से  हमे  सुभाषितकार  ने  बताया है ।  और  ऐसी  आभास  देनेवाली  कण्ठच्छाया  त्रिजगत  का  कल्याण   करे । 
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /   महाराष्ट्र 
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