Tuesday, April 21, 2020

Good people are always same - Sanskrit sloka

|| *ॐ* ||
   " *सुभाषितरसास्वादः* "
---------------------------------------------------------------------------------------
    " *कूटश्लोक* " ( १६७ )
---------------------------------------------------------------------------------------
   *श्लोक*----
   " गवादीनां  पयोऽन्येद्युः  सद्यो  वा  जाते  दधि ।
   क्षीरोदधेस्तु  नाद्यापि  महतां  विकृतिः  कुतः " ।।
---------------------------------------------------------------------------------------
  *अर्थ*----
  कवी  कह  रहा  है  कि -- गाय  जैसे  प्राणियों  के  पय का - दूध  का  दूसरे  दिन  दही  में  रूपांतर  हो  जाता  है । किन्तु  क्षीरसागर  के  पय  का    स्थित्य॔तर  अभी तक  नही   हुआ  है ।  उसमें  विकृती  नही  आयी  है। 
इस पर  से  यह  सिद्ध  होता  है  की  सज्जन  लोगों  में  कभी  भी  विकृती नही  आती  है ।  
---------------------------------------------------------------------------------------
  *गूढ़ार्थ*----
   यहाँ  पर  ' पय ' शब्द  पर  श्लेष  किया  गया  है ।  
   पय = दूध ।  पय = जल ।  
  गाय  के  पय = दूध  का  दही  बन  जाता  है  यह  हमारा  नित्य  अनुभव  है ।  किन्तु  क्षीरसागर  की  बात  ही  निराली  है ।  क्षीर  मतलब  दूध  और  क्षीरसागर  मतलब  दूध  का  समुद्र ,  दूधसागर !  जैसे  गाय  के  दूध  का  दही  बनता  है  वैसा  क्षीरसागर  का  भी  बनना  चाहिए  किन्तु  ऐसा  होते  हुए  दिखता  नही  है ।  
यहाँ  पर  ' क्षीर ' शब्द  पर  भी  श्लेष  ही  है । किसी  संवेदनक्षमवृत्ती  के  कवी  ने  क्षीरसागर  की  कल्पना  करके  यह  महान  दृष्टान्त  प्रस्तुत  किया  है ।  
ऐसे  कवियों  को  ह्रदय  से  प्रणाम ।  
-------------------------------------------------------------------------------------
   *卐卐ॐॐ卐卐*
------------------------------
 डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  / महाराष्ट्र 
 
----------------------------------
🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖🎖

No comments:

Post a Comment