Thursday, April 9, 2020

Adbhuta rasa -Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
     " *सुभाषितरसास्वादः* "
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   " *नवरसवर्णनम्* " ( १६१ )
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   " *अद्भुतरसः* "
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    *श्लोक*----
    "  एष  वन्ध्यासुतो  याति  खपुष्पकृतशेखरः ।  
     मृगतृष्णाम्भसि  स्नातः  शशशृङ्गधनुर्धरः " ।।
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*अर्थ*----
    अहो ,  कितना  आश्चर्य !  यह  देखो  वंध्या  स्त्री  का  पुत्र  जा  रहा  है । उसके  बालों  में  आकाशपुष्प  की  माला  है  और  उसने  मृगतृष्णा  में  स्नान  किया  है ।  और  उसके  हाथ  में  खरगोश  के  शिंग  से  तैय्यार  किया  हुआ  धनुष्य  है ।  सब   आश्चर्यकारक  ही  है ।  
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   *गूढ़ार्थ*----
   वंध्या  स्त्री  का  पुत्र  ,  आकाश  शून्य  में   उगा  पुष्प ,  मृगतृष्णा  का  जल  और  खरगोश  के  सींग  का  धनुष्य ।  सब  अशक्य  ही  है ।
यह  अद्भुत  रस  का  उदाहरण  भी  अद्भुत  ही  है ।
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   *卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे /   महाराष्ट्र 
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