Thursday, February 13, 2020

sooktisarit- Sanskrit poem

सूक्तिसरित्
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मनुष्या बहुचित्रा हा! स्वाहंकारं त्यजन्ति न।
प्रयत्नार्जितसम्बन्धं सामान्येन त्यजन्ति तु।।
(व्रजकिशोरः)  

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